Sunday, October 27, 2013

मौत तुम्हे देखा है

मौत तुम्हे देखा है

बहुत नज़दीक से,

महसूस किया है

तेरा भय बहुत नज़दीक से,

हाथ पसार तू आई थी

तुझे समय उम्र या कारण से क्या,

बहाने की तुझे ज़रूरत क्या

तू एक झटके में अंत कर सकती है

फिर भी तूने डराया है, सताया है,

हर पल तेरे कदमों की आहट ने चलती साँसों को टूटने का इंतज़ार कराया है.

जीने की जगह मौत के लिए आँखे बिछाई है

एक एक पल सालों सा बनाया है

और फिर एक दिन तुमने अपना शिकंज़ा कसा

जीवन को पराजित कर दिया,

तमाम लोगों के स्नेह के बल को पराजित कर दिया

दुआओं और आशाओं को पराजित कर दिया,

तुम जीत गयी

सब हार गये

किंतु तुम उन्हें छीन ना सकी

जिनकी ज़िंदगी लेने का तुम्हे दंभ है,

आज भी उनके कदमों की आहट सुनाई देती है,

हर पल हर छड़ जादू की तरह आ रहा है उनका आशीर्वाद प्रेरणा और दिशानिर्देश

मुलाकात के लिए दूरियाँ तय नहीं करनी है

बात के लिए फ़ोन भी नहीं चाहिए

मौत क्या तुम विजयी हो ?

शायद नहीं!

क्योंकि तुमने काल समय दूरिया सभी को मिटा दिया है

प्रियजन का जीवन लेकर उन्हें अमर कर दिया है.


No comments:

Post a Comment